बेमौसम बरसात से किसानों की टूटी कमर, खेतों में लगी खरीफ फसल बर्बाद।




-बाढ़ व बारिश से 12464 हेक्टेयर में लगी फसल की क्षति, करिब 17 करोड़ रुपये का मुआवजा बकाया
सीतामढ़ी : मौसम के बदले रूख ने एक बार फिर किसानों के लिए समस्या खड़ी कर दी है। बाढ़ ने पहले इनकी कमर तोड़ी उससे अभी उबरे भी नहीं कि तेज हवा व बारिश ने धान की फसल को बर्बाद कर दिया। डुमरा के किसान बैद्यनाथ ठाकुर, नारायणपुर के मो. मुस्लिम व मुरादपुर के राम लालबाबू ने बताया कि कुछ देर की तेज आंधी ने खेत में लगी फसल को भारी क्षति पहुंचाई। अब हालात ये है कि बची हुई फसल के जड़ में पानी जमा हो गया है।

खेतों में कटी फसल भींगकर हुई बर्बाद

सुप्पी: अचानक बदले मौसम के मिजाज ने किसानों की मुश्किलें काफी बढ़ा दी है। लगातार दो दिनों से चल रही तेज हवा के कारण धान की फसल खेत में ही गिर पड़ी है। रही सही कसर बरसात ने पूरी कर दी है। धान की कटाई शुरू हुई ही है। अचानक मौसम में बदलाव ने किसानों की कमर तोड़ डाली। किसानों का कहना है कि हमने धान की कटाई शुरू कर दी थी मगर अचानक आई बारिश ने धान की खेत में एक से दो फीट तक पानी जमा हो गया। मौसम साफ रहने पर कटी फसल को सुखाया गया। मगर लगातार बारिश ने कटी हुई फसल को भी बर्बाद कर दिया। ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतर लोग खेती पर ही आश्रित हैं और उनमें भी ज्यादातर किसान बटाई खेती या हुंडा खेती करते हैं।
किसानों के अरमानों पर फिरा पानी

परिहार : मंगलवार की सुबह से हो रही झमाझम बारिश एवं तेज हवा के कारण फसलों को भारी क्षति पहुंची है। बेमौसम बरसात ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। प्रखंड में सब्जी एवं धान की खेती पर व्यापक पैमाने पर असर पड़ा है। इस वर्ष मानसून अच्छा रहने की वजह से फसल की स्थिति काफी अच्छी थी। खेत में लहलहाते फसल को देख किसान प्रसन्न थे। लेकिन अचानक आई बारिश ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। जिससे किसानों में भारी मायूसी है। तेज हवा के साथ बारिश के कारण फसल खेत में ही गिर गया। धान की बाली पानी में होने के कारण इसके सड़ने की आशंका प्रबल हो गई है।
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कोटइससे पहले बाढ़ व बारिश से 12464 हेक्टेयर में लगी फसल की क्षति हुई थी। करिब 17 करोड़ रुपये की फसल बर्बाद हो गई थी। जिसका मुआवजा दिया जाना है। मंगलवार को हुई बारिश से क्षति का आंकलन अभी किया जाएगा।
अनिल कुमार यादव, डीएओ सीतामढ़ी।