सिमरन जैसी बेटियां हर मां-बाप की ख्वाहिश, एसडीएम बिटिया को हर कोई कर रहा सैल्यूट।




-मुश्किल नहीं गर ठान लीजिए, अफसर बिटिया से सबक लीजिए
-अफसर बिटिया के स्वागत में उमड़ा पूरा गांव-समाज, सबने किया अभिनंदन

बैरगनिया : जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का, फिर देखना फिजूल है कद आसमान का…! ये पंक्तियां सिमरन के हौसले से चरितार्थ होती है। इस बिटिया ने सफलता का जो कीर्तिमान हासिल किया है, उसकी ख्वाहिश अपनी औलाद से हर मां-बाप की रहती है। बात बेटियों की हो तो हर किसी का सीना गर्व से और भी चौड़ा हो जाता है। घर-परिवार की लाडली सिमरन अफसर बनकर लौटने पर पूरा गांव-समाज उसके अभिनंदन के लिए उमड़ पड़ा। हर तरफ जश्न का माहौल, हर कोई जयकारे लगा रहा था। गांव में विजय जुलूस निकला, मंच सजा और उसका अभिनंदन किया गया। वह बैरगनिया नगर के वार्ड नंबर- 01 सिंदुरिया गांव की रहने वाली है। 65वीं बीपीएससी परीक्षा में उसने 42वां स्थान प्राप्त किया है और वह एसडीएम बन गई है। उप-विभागीय अधिकारी (एसडीएम) अपने अनुमंडल क्षेत्र के लिए एक छोटा जिला मजिस्ट्रेट है। कई राजस्व कानून के तहत एसडीएम में कलेक्टर की शक्तियों ही निहित होती हैं। पद-पावर को देख इस बिटिया को हर कोई सैल्यूट कर रहा है। मां-बाप के साथ गांव-समाज भी सिमरन की सफलता पर गर्व कर रहा है। प्रो. डा. नरेश कुमार, प्रो. राजकुमार सिंह, बीस सूत्री कार्यान्वयन समिति के पूर्व अध्यक्ष रामशीष राय, पूर्व नगर अध्यक्ष बसीर अंसारी, पूर्व वीसी विश्वनाथ प्रसाद गुप्ता सहित तमाम लोगों ने सिमरन को बधाई दी है और कहा है कि उस जैसी बेटी ने आज के नौजवानों को आईना दिखाया है।
अब आइएएस बनकर दिखाने का अरमान

सिमरन की सफलता से भले ही हर कोई खुश है मगर वह खुद इतने से संतोष में नहीं है। उसका कहना है कि मेरी मंजिल तो कहीं और है। एसडीएम बनना तो एक पड़ाव है अभी यूपीएससी की परीक्षा पास कर कलेक्टर बनना उसका अरमान है। परिवार के सदस्य बताते हैं कि सिमरन ने सब-इंस्पेक्टर की परीक्षा पास की थी। उसकी मंजिल तो कहीं और थी शायद दारोगा बनकर रह जाना ईश्वर को भी मंजूर न था।
गांव से ग्रेजुएशन और जेएनयू से मास्टर डिग्री

सिमरन के पिता सुरेश कुमार पाण्डेय का कहना है कि उनका छोटा-सा व्यवसाय है। बेटे और बेटी में कभी फर्क नहीं समझा। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद पुत्री सिमरन को पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सिमरन 10 घंटे रोजाना मेहनत और ईमानदारी से पढ़ाई करती। उसके मन में अफसर बनने का जज्बा शुरू से ही था। आखिरकार उसने उसको साकार कर दिखाया। वह हिंदी मीडियम से राजकीय उच्च विद्यालय बैरगनिया से दसवीं, पंडित दीनदयाल उपाध्याय मेमोरियल कालेज बैरगनिया से साइंस विषय से इंटरमीडिएट, प्रिया रानी राय डिग्री कालेज बैरगनिया से स्नातक एवं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली से एमए की डिग्री हासिल की है।
महज 24 साल की सिमरन बन गई इतना बड़ा अफसर
21 जून, 1997 को सिमरन का जन्म हुआ। वह बताती है कि उसकी दादी स्व. कृष्णा पांडेय हमेशा कहा करती थी कि तुम खूब पढ़ो और एक दिन कलेक्टर बनोगी। सिमरन ने बताया कि सपनों की उड़ान भरने में उसके शिक्षक संदीप सर और अन्य शिक्षकों ने भी काफी प्रेरित किया। मुजफ्फरपुर में पदस्थापित डीआरडीए के डायरेक्टर चंदन कुमार चौहान ने प्रतियोगिता की तैयारी के क्रम में बेहतर मार्गदर्शन किया। सिमरन ने बताया कि इंटरव्यू के दौरान छात्र राजनीति से जुड़े सवाल के साथ बिहार में कृषि का विकास कैसे होगा, प्रदूषण से बचाव कैसे होगा आदि सवाल पूछे गए थे। सिमरन का कहना है कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वालों के लिए यहीं संदेश है कि मन में जो ठान लिया उसको पूरा करने में सर्वस्व योगदान देना चाहिए। दूसरे शब्दों में कहें तो मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिए।