परिजनों से नाराज होकर

परिजनों से नाराज होकर शमसुद्दीन चला गया था पाकिस्तान, फिर ऐसा हुआ जो उसने सपने में भी ना सोचा था.

कानपुर का रहने वाला शमसुद्दीन 28 साल बाद पाकिस्तान से वापस अपने घर लौटा. शमसुद्दीन के लिए ये दिन उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा दिन है. अपनों के बीच पहुंचकर उनकी आंखें भर आई, आसुओं की गंगा बहने लगी.

स्थानीय लोगों ने शमसुद्दीन का फूल मालों से स्वागत किया, 1992 में शमसुद्दीन का अपनें परिजनों से विवाद हुआ और गुस्से में अपने परिचित के पास पाकिस्तान चला गया. लेकिन हालात सही ना होने की वजह से वह वक्त पर पाकिस्तान से निकल नहीं पाया. जिससे उसके वीजा की अवधि समाप्त हो गई और बाद में अपने परिचित के कहने पर उसने पाकिस्तान की फर्जी नागरिकता ले ली.

कुछ वक्त बाद 2012 में पासपोर्ट रिन्यू कराने के दौरान पुलिस ने उसे धर दबोचा. जिसके बाद शमसुद्दीन के जीवन में संकट के काले बादल घिरने लगे. पाकिस्तानी पुलिस ने उसे भारतीय जासूस साबित करने के लिए बहुत प्रताड़नाएं दी. इतना ही नहीं उसे गलत तरीके से देश में दाखिल होने के आरोप में जेल में भी डाल दिया गया.

जब शमसुद्दीन पर लगे कोई आरोप सही साबित ना हुए तो 26 अक्टूबर को उसे भारतीय फौज के हवाले कर दिया गया. जहां उसे अमृतसर के क्वारनटीन सेंटर में रखा गया. क्वारनटीन की अवधि पूरी होने के बाद कागजी औपचारिकता पूरी कर उसे कानपुर के लिए रवाना कर दिया गया. बरसों बाद अपनों के बीच पहुंचे शमसुद्दीन की आंखें छलक उठी.

शमसुद्दीन का कहना है दोनों देशों के बीच तनाव की कीमत नागरिकों को भुगतनी पड़ती है. शमसुद्दीन अपने आपको बहुत खुशकिस्मत समझता है कि वो वापस अपने वतन लौट आया.