छोटी दीपावली

छोटी दीपावली ( नर्क चतुर्दशी ) की वो अनसुनी कथा जो Guaranty के साथ आपने नहीं सुनी होगी।

दीपोत्सव यानि छोटी दीपावली एक खुशियों का त्योहार है जिसे हम बड़ी धूमधाम से मनाते है. इस दिन हमारा घर दीयो से जगमग हो उठता है. दीवाली भारत के सबसे बड़े और महत्तपूर्ण त्योहारों में से एक है. माना जाता है कि दीपावली के दिन अयोध्या के राजा राम अपने चौदह वर्ष के वनवास के बाद वापस अयोध्या लौटे थे.

जिसके बाद अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत के लिए पूरी अयोध्या को दीपों से रोशन कर दिया था. कार्तिक मास की अमावस्या की वो रात दीयों की रोशनी से जगमगा उठी थी. तब से लेकर आज तक हर साल इस दिन दीपो का ये त्योहार मनाया जाता है.

छोटी दीपावली क्यों मनाई जाती है

दीपावली दो दिन मनाई जाती है एक छोटी दीवाली और बड़ी दीवाली. हम सब को पता है कि इस दिन भगवान श्रीराम रावण का वध करके अयोध्या वापस लौटे थे. लेकिन हम से कम ही लोग जानते होंगे की छोटी दीवाली क्यों मनाई जाती है. तो चलिए हम आपको बताते हैं कि छोटी दीवाली मनाने के पीछे आखिर क्या वजह है. दरअसल छोटी दीवाली को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है. माना जाता है कि इसी दिन उन्होने नरका सुर का वध किया था. कहीं कहीं तो ये भी माना जाता है कि इस दिन हनुमान जी का भी जन्म हुआ था.

ऐसा कहते हैं कि यमराज के लिए तेल का दीपक जलाने से अकाल मृत्यु भी टल जाती है. मान्यता है कि इस दिन जो मां लक्ष्मी और मृत्यु देवता यानि यमराज को खुश कर लेता है उसे मरने के बाद नरक नही भोगना पड़ता. और अंजाने में हुए पापो से भी मुक्ति मिल जाती है. कहीं कहीं तो ये भी माना जाता है कि इस दिन हनुमान जी का भी जन्म हुआ था. जीवन में आयु या स्वास्थ की अगर समस्या हो तो इस पूजा उपासना करने से वो दूर हो जाती है.

पूजा कैसे की जाती है

इस दिन सिर्फ 12 दीए जलाए जाते हैं और एक तेल के दिए को घर के बाहर भी रखा जाता है जिसे यम का दीपक कहा जाता है. इस दिन स्नान करके भगवान विष्णु या फिर श्री कृष्ण के मंदिर जाकर दर्शन जरूर करने चाहिए. ऐसी भी मान्यता है कि श्राद्ध महीने में आए हुए पितृ इसी दिन चंद्रलोक वापस लौटते हैं. लेकिन अमाव्सया होने के कारण इस दिन चांद नही निकलता जिसकी वजह से पितृ भटक भी सकते हैं. जिसके लिए घर में एक बड़ा दीया जलाया जाता है. यमराज और पितृ देवता अमावस्या तीथि के स्वामी माने जाते हैं. छोटी दीवाली सौंदर्य प्राप्ति और आयु प्राप्ति का भी दिन माना जाता है. इस दिन श्री कृष्ण की उपासना की जाती है.

बड़ा दीया जलाने की विधि

घर के सबसे बड़े सदस्य को एक बड़ा दीया जलाना चाहिए, फिर इस दीये को पूरे घर में घुमाएं और घर से बाहर जाकर दूर इस दीये को रख आएं.  लेकिन घर के दूसरे सदस्य घर के अंदर ही रहें और इस दीपक को ना देखें।