बिजली पानी

प्रयागराज के आदर्श गाँव में नही है बिजली पानी की व्यवस्था

  • आदर्श गाँव सुविधाओं से वंचित
  • गाँव में नही है बिजली पानी की व्यवस्था
  • गाँव में सड़क नहीं है
  • बिजली का मीटर लगा है पर बिजली नही है

जहाँ गाँव को आर्दश गाँव बनाने की पहल की जा रही है. वही गांव को आर्दश गांव बनाने के लिए मंत्री और संसद की ओर से गांव को गोद लेने की कवायत भी शुरु की गई थी. लेकिन वही अभी भी कुछ ऐसे गांव है. जहाँ मूलभूत सुविधाएँ भी नही है. ऐसे ही एक गांव प्रयागराज के कोरांव क्षेत्र में है.

जहां पर लगभग 70 घर है और जिसमें लगभग 500 से 600 लोगों के बीच की जनसंख्या है. इस गाँव में लोग रहते तो है लेकिन उनतक पहुंचने के लिए सड़के ही नही है. अगर कोई बीमार पड़ जाए तो कंधों पर लधकर अस्पताल पहुचाना पड़ता है. अब जब सड़कें ही नहीं है तो स्कूल और अस्पताल का गांव के अंदर होना का कोई सवाल ही नहीं उठता है.

बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए 6 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाना पड़ता है. अगर बात करें इस गांव में पीने के पानी की व्यवस्था की तो गांव में सिर्फ एकमात्र हैंडपंप है. जो कि आज से लगभग 15 साल पहले लगा था अब पूरी तरीके से समाप्त हो चुका है. गांव के लोग गांव से लगभग 2 किलोमीटर दूर बेलन नदी से पीने के पानी की व्यवस्था करते हैं या फिर गांव के अंदर खेतों के पास एक ट्यूबवेल लगा हुआ है जिससे यह पानी भर के घरों में लेकर आते हैं. ऐसा ही कुछ हाल बिजली का भी है.

गांव के लगभग 30 घरों में सौभाग्य योजना के तहत मीटर तो लगा दिए गए लेकिन मुख्य सड़क से गांव तक कलेक्शन लाने के लिए बिजली विभाग प्रत्येक घर से ₹30000 की मांग कर रहा है जोकि इन झोपड़ियों में रहने वाले लोग नहीं दे सकते इसलिए इन्होंने मीटरों में न तो कोई कनेक्शन दिया है और ना ही इन्हें बिजली मिलती है लेकिन जब सरकारी आंकड़ों का विश्लेषण किया गया तो यह पता चला कि प्रत्येक घर को पिछले 3 महीने में औसतन 200 यूनिट बिजली दी गई है और जिस का बिल 12 से ₹15000 का बना के इन्हें प्रेषित किया गया है.

अगर और समस्याओं की बात करें तो प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत अभियान के तहत दिए जाने वाले शौचालय इस गांव से कोसों दूर है. तो ऐसे गांव को देखकर हम कैसे कह सकते है कि गांव को आर्दश गांव बनाने की पहल करगर साबित हुई.