महिलाओं ने संभाली घर

धरने पर बैठे हैं किसान, महिलाओं ने संभाली घर और खेतों की जिम्मेदारी

21 वे दिन भी किसानों का आंदोलन जारी है. किसान अपनी मांगो पर अडे हुए हैं तो वहीं सरकार भी उनकी मांगे पूरी करने को तैयार नही है. इन सर्द रातों में किसान खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर है. जिसके चलते कई किसानो की मौत भी हो चुकी है. दिल्ली की सीमाओं पर लगभग 40 किसान संगठनों की तरफ से लगातार प्रदर्शन किया जा रहा है. इतना ही नही किसान लंबे समय तक धरने की बात भी कह रहे है. दिसंबर की हाड़ कंपा देने वाली ठंड भी उनके हौसले को नही तोड पा रही है.

  • 21 वे दिन भी किसानों का आंदोलन जारी
  • घर के साथ खेतों का भी काम कर रही महिलाएं
  • फसलों को नुकसान से बचाने के लिए कर रही खेती
  • घर के सभी पुरूष धरने पर गए हैं
  • महिलाओं ने कहा उनके हित में नही है कृषि बिल

महिलाओं ने संभाली खेतों की जिम्मेदारी

महिलाओं ने संभाली खेतों की जिम्मेदारी

पुरानी कहावत है कि हर कामयाब आदमी के पीछे एक महिला का हाथ होता है. शायद इसी कहावत को सही साबित करने में जुटी हैं रामपुर के किसानों के परिवार की वह महिलाएं जो फसलें बचाने के लिए दिन रात एक करके मेहनत कर रही है. वो अपने बच्चों को भी देखरेख कर रही है और साथ ही खेतों में भी काम कर रही है. महिलाएं खेतों में पानी चलाने या फिर ट्रैक्टर से खेतों की जुताई करने में जरा भी पीछे नही हट रही है. बस उनकी ये ही इच्छा है कि उनके घर के पुरूष जो केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कृषि कानूनो के विरोध में दिल्ली धरने पर गए हैं वो कामयाब होकर ही वापस लौटे.

21 दिनों से धरने पर बैठे किसान

21 दिनों से धरने पर बैठे किसान

कृषि कानूनों के विरोध प्रदर्शन करने दिल्ली पहुंचे किसानों को अपना घर छोड़े 21 दिन बीत चुके हैं.. किसान अपनो घरों से दूर खुले आसमान के नीचे प्रदर्शन करने में शायद इसलिए सफल हो रहे है क्योंकि उनको पूरा विश्वास है कि उनकी गैर मौजूदगी में उनके घरो की महिलाएं खेत और घर की पूरी जिम्मेदारी उठा लेंगी. महिलाओं को लगा था कि उनके पति, पिता या बेटे के विरोध प्रदर्शन में जाने के बाद उनकी फसलें बर्बाद हो जाएंगी. जिसे देखते हुए उन्होने फैसला लिया कि वो खेतों में खुद ट्रैक्टर से जुताई करेंगी और पानी लगाएंगी.

वहीं जब इस बारे में महिला किसान सिमरनजीत कौर से बात की तो उन्होंने बताया कि हम खेती करने को मजबूर हैं क्योंकि घर के सभी पुरूष दिल्ली में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. सिमरनजीत कौर ने कहा कि वो भी उनके साथ जाना चाहती थी लेकिन ऐसा करने पर उनकी फसलों को नुकसान हो जाता तो उन्होने अपने घर के मर्दों से कहा कि आप जाओ और जीतकर ही वापस आना.

महिला किसान सिमरनजीत कौर

वहीं बुजुर्ग महिला किसान सुखविंदर कौर ने कहा कि सभी सरदार प्रदर्शन करने गए हैं जिससे महिलाएं खेती कर रही है. उनका कहना है कि जब खेती आती है तो कोई भाव नहीं मिलता और ना ही फसलों का सही रेट उन्हे मिलता है. सरकार जो ये कानून लेकर आई है वो बिल्कुल भी किसानों के हित में नही है.

महिला किसान प्रीतिंदर कौर ने कहा हमारे पिता भाई सब लोग दिल्ली गए हुए हैं. इसलिए हमें खुद ही खेती करनी पड़ रही है और खुद ही घर संभालना पड़ रहा है. मोदी जी ने जो कानून बनाया है ये गैरकानूनी है हम इस कानून को नहीं मानते, हमने अपने घर वालों को कह रखा है कि जीत कर आना बगैर जीते मत आना।

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